नालंदा जिले के बिहारशरीफ शहर में स्तिथ महान सूफी हजरत मखदूम शेख शर्फुदीन अहमद यहीया मनेरी रहमतुल्ला अलैह का मज़ार है,जिसे बड़ी दरगाह के नाम से जाना जाता है। इनका जन्म पटना के मनेर नामक स्थान में हुआ था। इन्होने ने जात पात के भेदभाव से अलग उठ कर मानव समुदाय की सेवा की खातिर अपने जीवन को समर्पित किया था।
आज के दौर में इनके इस मजार पर सभी धर्म और समुदाय के लोग अपनी फरियाद लेकर आते है और उनकी मुरादे पुरी होती है। यहाँ प्रति वर्ष ईद के पांचवे दिन से पाँच दिनों का उर्श मेला लगता है, जहाँ देश विदेश से लाखों की संख्या में जायरीन आकर बाबा के मजार पर चादर पोशी कर मन्नते मांगते है।
इनके द्वारा लिखी गयी कई बेहतरीन किताबें आज भी खानकाह में मौजूद है। उर्श मेला के दौरान यहाँ पर परंपरागत तरीके से कव्वाली का भी आयोजन किया जाता है।
इनके द्वारा लिखी गयी कई बेहतरीन किताबें आज भी खानकाह में मौजूद है। उर्श मेला के दौरान यहाँ पर परंपरागत तरीके से कव्वाली का भी आयोजन किया जाता है।
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