सन् 1911 में वर्तमान श्री राम जानकी मार्ग NH-227 A(अयोध्या से सितामढी) के किनारे बंगरा पंचायत के टेरुआ गांव में स्थित श्री राम जानकी ग्रंथ मठ मंदिर सखी पंथ परंपरा के श्रद्धालुओं के लिए बहुत पवित्र स्थल हैं। यहां महान संतों कबीरदास, तुलसीदास, सुरदास और रैदास आदि के भांति ही आधुनिक काल में 20वीं सदी में भक्ति आंदोलन को श्री श्री 108 श्री लक्ष्मी सखी और उनके शिष्यों जलेश्वर सखी राम सुंदरी सखी और जानकी सखी ने प्रभु श्री राम-जानकी के भक्ति को आम जनमानस तक पहुंचाने हेतु एक नये सखी पंथ के साथ महान ग्रंथ अमर कहानी, अमर सीढ़ी, अमर विलास और अमर परास के साथ कई साहित्यिक कालजयी रचनाओं के द्वारा जन-जन तक समाजिक बदलाव यथा छुआछूत, भेदभाव, जातिप्रथा और कई आडंबरों का खंडन कर समाज को एकसाथ जोड़ने का प्रयास किया। उनके ग्रंथों में भोजपुरी, हिंदी व मैथिली भाषा में भजन-कीर्तन, निर्गुण, जातसाड़ी, पराती, पुर्वी, ककहडा झुमड़ी, गोपालगाडी़, ग़ज़ल लोकगीत के गद्य-पद्य और विभिन्न साहित्यिक कहानियों का रचना कैथी भाषा में किया गया है। प्रत्येक वर्ष पुष के पुर्णिमा की रात मंदिर के प्रांगण में मेला व संत समागम का आयोजन किया जाता है जिसमें आस-पास व दुर-दराज से भारी संख्या में श्रद्धालु भक्त आते हैं।
सितामढ़ी
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