मंदार पर्वत भागलपुर से 50 किलोमीटर दूर बांका जिले में स्थित है। मंदार पर्वत को मदरांचल भी कहा जाता है| मंदार पर्वत की अपनी धार्मिक महत्तवता भी है। कहा जाता है की देवताओं ने मंदार पर्वत का उपयोग मथनी बना कर समुन्द्र मंथन के लिए किया था। हिन्दुओं के लिए यह पर्वत भगवान विष्णु का पवित्र आश्रय स्थल है तो जैन धर्म को मानने वाले लोग प्रसिद्ध तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य से इसे जुड़ा मानते हैं। आदिवासी मूल के लोग इस क्षेत्र को सिद्धि क्षेत्र मानते है और मकरसक्रांति से एक दिन पूर्व यहाँ वो पूरी रात सिद्धि पूजा करते है। यहाँ मकरसक्रांति के अवसर पर सबसे बड़ा संताली मेला का आयोजन होता है जिसमें लाखों की संख्या में लोग आते है। मंदार की चट्टानों पर उत्कीर्ण सैकड़ों प्राचीन मूर्तियां, गुफाएं, ध्वस्त चैत्य और मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक गौरव के मूक साक्षी हैं। सदियों से खड़ा मंदार पर्वत आज भी लोगो के आस्था और विश्वास से जुड़ा हुआ है। इस जगह की प्राकृतिक सुंदरता और पर्वत के पास का तालाब यहाँ के वातावरण को और भी मनोहारी बनाते है। यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए यह स्थान काफी सुखद अनुभव देता है।
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