केसरिया पूर्वी चम्पारण से ३५ किलोमीटर दूर दक्षिण साहेबगंज - चकिया मार्ग पर लाल छपरा चौक के पास अवस्थित है| यह पुरातात्विक महत्व का प्राचीन ऐतिहासिक स्थल है| यहाँ एक वृहद् बौद्धकालीन स्तूप है जिसे केसरिया स्तूप के नाम से जाना जाता है| बुद्ध ने वैशाली से कुशीनगर जाते हुए एक रात केसरिया में बितायी थी तथा लिच्छविओं को अपना भिक्षा पात्र प्रदान किया था | कहा जाता है की जब भगवान बुद्ध यहाँ से जाने लगे तो लिच्छविओं ने उन्हें रोकने का काफी प्रयास किया| लेकिन जब लिच्छवि नहीं माने तो भगवान बुद्ध ने उन्हें रोकने के लिए नदी में कृत्रिम बाढ़ उत्पन की| इसके पश्चात ही भगवान् बुद्ध यहाँ से जा पाने में सफल हो सके थे| सम्राट अशोक ने यहाँ एक स्तूप का निर्माण करवाया था| वर्तमान में यह स्तूप १४०० फ़ीट के क्षेत्र में फैला हुआ है| केसरिया बौद्ध स्तूप की ऊंचाई आज भी १०४ फ़ीट है , इसे विश्व का सबसे बड़ा स्तूप माना जाता है|
फोटो गैलरी
ध्यान दें : अन्य स्थलों के लिंक प्रदान करके, बिहार पर्यटन इन साइटों पर उपलब्ध जानकारी या उत्पादों की गारंटी, अनुमोदन या समर्थन नहीं करता है।