कुर्किहार गया जिला के वजीरगंज प्रखण्ड अंतर्गत बोधगया से तपोवन पथ में वजीरगंज से चार किलोमीटर पूर्व में स्थित है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से ये स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। कुर्किहार का सम्बन्ध बौद्ध धर्म एवं सनातन संस्कृति से जुड़ा हुआ है। यहाँ से खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध की अनेको कलाकृतियाँ मिली है जो की अष्टधातु एवं कीमती काले पत्थरों से बनी हुई है। सुरक्षा के लिहाज से यहां पाए गए बहुमूल्य कलाकृतियों को पटना संग्रहालय में संरक्षित रखा गया है।
इस स्थान का अवलोकन महान पुरातत्वविद कन्निघम ने भी किया था कनिंघम ने पहले १८६१ - ६२ में और फिर १८७९ - ८० में कुर्किहार का दौरा किया। उनके अनुसार यह स्थल करीब ६०० वर्ग फ़ीट चौड़ा और करीब २५ फ़ीट ऊँचा था। उन्होंने यहाँ कई बौद्ध तस्वीरों, के अलावा मन्नत स्तूपों को भी देखा। उनके अनुसार , " इस स्थान का विस्तार कई सौ फ़ीट उत्तर से दक्षिण तक पंक्तिबद्ध था।
यहाँ से प्राप्त शिलालेखों में देवपाला, राज्यपाला ,महिपाल और विगरापाला तृतीय का उल्लेख है , जो ९ वी शताब्दी से लेकर १०७४ ईसवी तक शासक रहे थे।
कुर्किहार एक ऐसा स्थान है जहाँ सनातन संस्कृति से जुडी काफी मूर्तियां संरक्षित है। यह स्थान पर्यटकों को भारतीय इतिहास के गौरव से रूबरू कराता है और वैभवशाली शिल्प कलाकारों के हुनर को प्रदर्शित करता है।
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