मुंडेश्वरी मंदिर, बिहार के कैमूर जिले के रामगढ़ गाँव में पंवरा पहाड़ी पर स्थित है जिसकी ऊँचाई लगभग 600 फीट है। पुरातत्वविदों के अनुसार यहाँ से प्राप्त शिलालेख 389 ई0 के बीच का है जो इसके प्राचीनतम समय का एहसास कराता है। मुण्डेश्वरी भवानी के मंदिर के नक्काशी और मूर्तियों उतरगुप्तकालीन है और यह मंदिर अष्टकोणीय आकार में पुराने पत्थरों से बना हुआ है।
इस मंदिर के पूर्वी खंड में देवी मुण्डेश्वरी की पत्थर से भव्य व प्राचीन मूर्ति मुख्य आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर के मध्य भाग में पंचमुखी शिवलिंग स्थापित है, जिस पत्थर से यह पंचमुखी शिवलिंग निर्मित किया गया है उसमे सूर्य की स्थिति के साथ साथ पत्थर का रंग भी बदलता रहता है। मुख्य मंदिर के पश्चिम में पूर्वाभिमुख विशाल नंदी की मूर्ति है, जो आज भी अक्षुण्ण है। यहाँ पशु बलि में बकरा तो चढ़ाया जाता है परंतु उसका वध नहीं किया जाता है बलि की यह सात्विक परंपरा पुरे भारतवर्ष में अन्यत्र कहीं नहीं है।
इस मंदिर को सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर अपनी महिमा और गरिमा के लिए विख्यात है। रामनवमी और शिवरात्रि के त्योहार मुंडेश्वरी मंदिर में विशेष आकर्षण रखते हैं और प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों द्वारा मंदिर का दौरा किया जाता है। यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है।
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