छोटी दरगाह, बिहार के सबसे प्रसिद्ध सूफी स्थलों में से एक है, जो धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक विरासत और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक है। यह दरगाह महान सूफी संत हज़रत मखदूम शाह दौलत से जुड़ी हुई है, जिनकी शिक्षाएं प्रेम, भाईचारा और मानवता पर आधारित थीं।
इस स्थल की स्थापत्य कला अद्भुत है, जहाँ इस्लामी वास्तुकला की सुंदर छाप दिखाई देती है। संगमरमर की नक्काशी, विशाल गुंबद और शांत वातावरण इसे एक आध्यात्मिक स्थल बनाते हैं। हर वर्ष यहाँ पर उर्स मेला आयोजित होता है, जिसमें देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं।
यह दरगाह सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लोगों के लिए श्रद्धा का केंद्र है। यहाँ आकर लोग मानसिक शांति और आंतरिक सुकून का अनुभव करते हैं।
यह स्थल न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि स्थापत्य, संस्कृति और साम्प्रदायिक सौहार्द का जीवंत प्रतीक भी है।
बिहार की सूफी परंपरा और इतिहास को महसूस करने के लिए छोटी दरगाह एक अवश्य भ्रमणीय स्थल है।
एक नज़र में
छोटी दरगाह एक खूबसूरत मुगल युग का मकबरा है, जो मखदुम शाह दौलत का मकबरा है, जिसमें आश्चर्यजनक इस्लामी वास्तुकला है। यह भक्तों और इतिहास प्रेमियों को समान रूप से आकर्षित करता है।
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: सितंबर से अप्रैल।
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स: मोबाइल, कैमरा, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की अनुमति है।