यह स्थान शान्ति और अहिंसा के विश्व उद्धोषक भगवान महावीर के जन्म स्थली के रूप में विश्व विख्यात है| नालंदा के खंडहर से महज 1.6 किमी की दूरी पर यह जगह कुंडलपुर कहा जाता है। जैनियों के दिगंबर संप्रदाय का मानना है कि यहां 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था। इस गांव में कई जैन मंदिर हैं। वर्तमान मंदिर की संरचना काफी भव्य एवं अलौकिक है| मंदिर का शिखर 51 फीट ऊँचा है एवं उस पर स्वर्ण ध्वज स्थापित है|यह स्थान जैन धर्मालम्बियों का सबसे महत्वपूर्ण स्थल है| मंदिर के पास के दो झील जो कि दीर्घ पुष्करणी और पांडव पुष्करणी के नाम से जाने जातें है यहां की खूबसूरती को और भी प्रज्वलित करते है|
इस मंदिर परिसर के अलग ईमारत में जैन धर्म के 72 तीर्थंकरों की छवियों को भी प्रदर्शित करते है जिसे त्रिकाल चौबीसी जैन मंदिर के भी नाम से जाना जाता है|
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