बिहार के नालंदा जिले में स्थित जल मंदिर, पावापुरी का एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है। यह मंदिर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की निर्वाण स्थली के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यहीं पर 527 ईसा पूर्व भगवान महावीर ने अंतिम उपदेश दिया और निर्वाण प्राप्त किया।
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यह तालाब के बीचों-बीच एक सुंदर संगमरमर की संरचना के रूप में बना हुआ है, जो एक छोटे पुल द्वारा भूमि से जुड़ा है। मंदिर का शांत वातावरण, कमल के फूलों से भरा तालाब और स्थापत्य कला दर्शकों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं।
पावापुरी का जल मंदिर न केवल जैन धर्म के अनुयायियों के लिए पवित्र स्थल है, बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी अत्यंत आकर्षक है। यहाँ हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर विशाल मेला आयोजित होता है, जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालु भाग लेते हैं।
जल मंदिर, पावापुरी बिहार की आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है।
एक नज़र में
बिहार के पावापुरी में स्थित जल मंदिर, एक पवित्र जैन मंदिर है जो जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर को समर्पित है। मंदिर का बहुत महत्व है क्योंकि यह उस स्थान को चिह्नित करता है जहां महावीर ने मोक्ष (मुक्ति) प्राप्त की थी और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। यह विशिष्ट रूप से एक शांत कमल से भरे टैंक के बीच में स्थित है, जो शुद्धता और शांति का प्रतीक है। मंदिर की सफेद संगमरमर की वास्तुकला अपने दिव्य आभा को बढ़ाती है, जिससे यह आगंतुकों के लिए एक मंत्रमुग्ध करने वाली दृष्टि बन जाती है।
देश भर के तीर्थयात्री महावीर को श्रद्धांजलि देने और शांत वातावरण का अनुभव करने के लिए जल मंदिर जाते हैं। यह मंदिर जैन तीर्थ सर्किट का एक अनिवार्य हिस्सा है और आध्यात्मिक साधकों और इतिहास के प्रति उत्साही लोगों को समान रूप से आकर्षित करता है। मंदिर की सुंदरता, इसके ऐतिहासिक महत्व के साथ मिलकर, इसे भारत के सबसे प्रतिष्ठित जैन मंदिरों में से एक बनाती है।
यात्रा करने का सबसे अच्छा समय: सितंबर से अप्रैल।
इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स: मोबाइल, कैमरा, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की अनुमति है।