मधुबनी चित्रकला बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है। प्रारम्भ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ो, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है। मधुबनी चित्रकला बिहार की एक विश्वविख्यात चित्रकला शैली है। मधुबनी चित्रकला मिथिला की एक फोक पेंटिंग है। इस शैली के चित्र दो प्रकार के होते हैं - भित्ति चित्र और अरिपन। इस चित्रकला में मिथिलांचल की संस्कृति को दिखाया जाता है। मिथिला की औरतों द्वारा शुरू की गई इस घरेलू चित्रकला को पुरुषों ने भी अपना लिया है।
मधुबनी चित्रकला ज्यादातर प्राचीन महाकाव्यों से प्राकृतिक दृश्यों और देवताओं के साथ पुरुषों और उसके सहयोग को दर्शाती हैं। सूर्य, चंद्रमा और तुलसी जैसे धार्मिक पौधों जैसे प्राकृतिक वस्तुओं को शाही अदालत के दृश्यों और शादियों जैसे सामाजिक कार्यक्रमों के साथ व्यापक रूप से चित्रित किया जाता है।
मधुबनी चित्रकला दीवार, केन्वास एवं हस्त निर्मित कागज पर वर्तमान समय में चित्रकारों द्वारा बनायी जाती हैं। यह चित्रकला अपने आप में अनोखा और अद्भुत प्रतीत होता है। मधुबनी चित्रकला आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। अपने अनूठे रंग रूप की वजह से देश-दुनिया में इस चित्रकला ने काफी शोहरत बटोरी है। मधुबनी चित्रकला की विशेषता उसकी सादगी और सजीवता है।
फोटो गैलरी