टेराकोटा बिहार की प्राचीन शिल्पकलाओं में से एक है, जिसमें राम-रस और गेरुआ मिट्टी का उपयोग किया जाता है। अपने सौंदर्य और खूबसूरती के लिए प्रचलित, यह कला लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है। इस कला का उपयोग शिल्पकारों द्वारा तरह तरह के मिट्टी के बर्तन, विशेष रूप से दैविक कलाकृतियाँ, प्राकृतिक कलाकृतियाँ और भी अनेक रंग रूप से सुसज्जित (विभिन तरह के कलाकृतियाँ जो की सजावट के तौर पर उपयोग की जाती है) को बनाने में करते है। यह कला पूर्ण रूप से हस्त निर्मित होती है। मोहनजोदड़ों जो की एक प्राचीन सभ्यता मानी जाती है उसकी खुदाई के वक़्त भी टेराकोटा के बहुत सारे उत्पाद मिले जो इस हस्तकला को प्राचीनतम हस्तकला का नायाब नमूना बताते है।
टेराकोटा उत्पाद की पहचान और ख्याति आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है।
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