टिकुली चित्रकारी एक हस्तनिर्मित कला है, जो वर्षों से बिहार के इतिहास में मौजूद है। पौराणिक युग में आधुनिक विकास और विविध अभिव्यक्तियों के साथ इसकी उत्पत्ति हुई थी। बिहार में टिकुली कला का ऐतिहासिक महत्व रहा है।
टिकुली कला बिहार की बेहतरीन शिल्प-कलाओं में से एक है। इसका अपना एक समृद्ध और पारंपरिक इतिहास है। ‘टिकुली’ शब्द ‘बिन्दी’ का स्थानीय शब्द है। कहा जाता है कि बिहार में टिकुली कला करीब 800 वर्ष पूर्व पटना में शुरू हुई थी। ये खूबसूरती से तैयार किए गए चित्र होते है। पटना उसके निर्माण एवं विक्रय का समृद्ध केंद्र था। मध्यकाल में मुगलों ने इस कला में खास दिलचस्पी दिखायी और उसे राजकीय संरक्षण दिया, जिससे उसके प्रचार-प्रसार में काफी सहायता मिली।
बिहार की इस दुर्लभ कला को साकार करने की प्रक्रिया अत्यंत जटिल थी और उसे बनाने के लिए विशेष कौशल की आवश्यकता होती है।
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