प्रकृति और संस्कृति की कालातीत कला
धातु शिल्प बिहार राज्य के सबसे प्राचीन शिल्पों में से एक है। इसमें सोने, चांदी, ब्रास, जिंक और अष्टधातु धातुओं से बने विभिन्न उपयोगिता और सजावटी उत्पादों का निर्माण शामिल है।
सोने और चांदी की धातु का उपयोग आभूषणों के निर्माण के लिए व्यापक रूप से किया जाता है। बिहार के मुंगेर और बांका जिले में निर्मित चांदी के आभूषणों की देश के विभिन्न हिस्सों में बहुत मांग है। ब्रास और अष्टधातु धातुओं का उपयोग विभिन्न हिंदू देवताओं की मूर्तियों के निर्माण के लिए किया जाता है। बेतिया, वेस्ट चंपारण और वैशाली धातु मूर्तियों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं। तांबे, पीतल और घंटी धातु के धातु के काम प्रसिद्ध उत्पाद हैं। बिहार के शिल्पकारों ने विभिन्न धातु वस्तुओं के निर्माण के लिए अंतिम मोम विधि, रेपोज और धोकरा नामक तीन अलग-अलग तकनीकों का उपयोग किया।