जहानाबाद जिले में ये गुफाएं स्थित है और चट्टानों को काटकर बनायीं गयी सबसे पुराणी गुफाएं हैं। इनमें से अधिकाँश गुफाओं का सम्बन्ध मौर्या काल (३२२-१८५ ईसा पूर्व ) से है और कुछ में अशोक के शिलालेखों को देखा जा सकता है।
ये गुफाएं बराबर (चार गुफाएं ) और नागार्जुनी (तीन गुफाएं) की जुड़वाँ पहाड़ियों में स्थित है। बराबर में ज्यादातर गुफाएं दो कक्षों की बनी हैं जिन्हे पूरी तरह से ग्रेनाइट को तराशकर बनाया गया है जिनमे से एक उच्च - स्तरीय पोलिश युक्त आतंरिक सतह और गूंज का रोमांचक प्रभाव पैदा करता है। इन गुफाओं का उपयोग आजीविका सम्प्रदाय के सन्यासियों द्वारा किया गया था जिनकी स्थापना मक्खलि गोसाल द्वारा की गयी थी , वे बौद्ध धर्म के संस्थापक सिद्दार्थ गौतम और जैन धर्म के अंतिम एवं २४ वे तीर्थंकर महावीर के समकालीन थे। इसके अलावा इस स्थान पर चट्टानों से निर्मित कई बौद्ध और हिन्दू मूर्तियां भी पायी गयी हैं।
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