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श्रावणी मेला

विश्वप्रसिद्ध द्वादश ज्योतिर्लिंगों में देवघर के रावणेश्वर महादेव ज्योतिर्मय एवं दिव्य हैं और पूर्वी भारत में शैव सम्प्रदाय का एक महत्त्वपूर्ण पर्यटकीय गंतव्य हैं। बैद्यनाथधाम की पवित्र यात्रा, श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में शुरू होती है। सबसे पहले तीर्थयात्री सुल्तानगंज में एकत्र होते हैं, जहां वे अपने-अपने पात्रों में पवित्र गंगाजल भरकर श्रावण कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक एक माह लगभग 105 किलोमीटर की दूरी नंगे पाँव चलकर देवघर स्थित रावणेश्वर महादेव के ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक करते हैं। भागलपुर के सुल्तानगंज से देवघर तक की असाध्य यात्रा में असंख्य श्रद्धालु शिव भक्त कांवरिये नंगे पाँव “बोल-बम” के नारों के उद्घोष के साथ अवर्णनीय लंबी-लंबी मानव श्रृंखला सृजित कर प्रकृति, पर्यावरण के बीच अद्भुत नजारा प्रस्तुत करते हैं। जनश्रृति एवं पुराणों की मान्यता के अनुसार रावण को ज्योतिर्लिंग श्रीलंका ले जाने से रोकने के लिये स्वयं भगवान वरूणदेव एवं श्री विष्णु यहाँ पधारे थे। एक दूसरी जनश्रृति के अनुसार दक्षपुत्री सती के द्वारा हवन कुण्ड में प्राणाहुति के बाद अपनी पत्नी सती के शव को उठाते ही महादेव शिव की क्रोधाग्नि भड़क उठी थी। फलतः पूरे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया था। भगवान विष्णु ने शिव की क्रोधाग्नि से ब्रह्मांड की रक्षा के लिये सती के 52 टुकड़े किए जो विभिन्न पवित्र स्थानों पर गिरे एवं उन स्थलों पर शक्तिपीठ स्थापित हुए। कहा जाता है कि सती का हृदय देवघर में गिरा था, जिससे इस स्थल की दिव्यता और भव्यता और भी बढ़ जाती है। अतएव यह संपूर्ण भारतवासियों के लिये और भी महत्त्व का तीर्थ स्थल माना जाता है। बिहार, बंगाल, उड़ीसा, झारखंड एवं नेपालवासियों के लिये निकटता में यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, यहाँ इन राज्यों एवं नेपाल से सर्वाधिक संख्या में श्रद्धालुगण पहुँचते हैं।

              बिहार पर्यटन श्रावणी मेला को बढ़ावा देने एवं काँवरिया पथ में मौलिक पर्यटकीय नागरिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने हेतु प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में सुल्तानगंज से बिहार सीमा तक विभिन्न स्थलों पर पर्यटक सहायता केन्द्र, जहां कांवरियों/श्रद्धालुओं को सूचना एवं सहयोग प्रदान की जाती है, मोबाईल एप, कांवर स्टैंड, चलंत शौचालय, स्थायी रेन सेल्टर, मार्गीय सुविधा, बिजली, पानी, साफ-सफाई, शौचालय आदि की व्यवस्था उपलब्ध करायी जाती है, तथा कांवरियों/श्रद्धालुओं के आवासन के लिए टेंट सिटी का निर्माण किया जाता है, जहां विश्राम तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम की व्यवस्था की जाती है।

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