कैमूर की पहाड़ियों में स्थित रोहतासगढ़ क़िला, बिहार के कई अतुल्य विरासतों में से एक है , इसके परिसर में अनेक इमारतें है जिनकी भव्यता देखने योग्य है। रोहतास गढ़ का किला काफी भव्य है| इस किले का घेरा 28 वर्गमील तक फैला हुआ है और इसमें कुल 83 दरवाजे है जिनमें मुख्य चार- घोड़ाघाट, राजघाट, कठौतिया घाट व मेढ़ा घाट हैं। प्रवेश द्वार पर निर्मित हाथी, दरवाजों के बुर्ज, दीवारों पर पेंटिंग अद्भुत है। रंगमहल, शीश महल, पंचमहल, खूंटा महल, आइना महल, रानी का झरोखा, मानसिंह की कचहरी आज भी मौजूद हैं। परिसर में अनेक इमारतें हैं जिनकी भव्यता देखी जा सकती है।ऐसा कहा जाता है कि इस किले का निर्माण सूर्यवंशी राजा हरिश्चंद्र के पुत्र रोहितशय ने कराया था |
रोहतास का इतिहास इसकी समृद्धि ,सभ्यता और संस्कृति अति समृद्धशाली रही है|इसी कारण अंग्रेज़ों के समय से यह क्षेत्र पुरातात्विक महत्व का रहा है|1807 में सर्वेक्षण का दायित्व फ्रांसिस बुकानन को सौंपा गया वह 1812 में रोहतास आया और कितनी ही पुरातात्विक जानकारियां उसने हासिल की थी| 1881 - 1882 के दौरान बी डब्ल्यू गैरिक ने इस क्षेत्र का पुरातात्विक सर्वेक्षण किया और रोहतास गढ़ से राजा शशांक की मुहर का साँचा प्राप्त किया|
यह किला जितना ही भव्य है उतना ही रहस्य्मयी भी है| इस किले का अतीत बहुत ही समृद्ध और बलशाली रहा है|इस किले की समृद्ध विरासत ने बहुत सारे राजाओं को अपनी और आकर्षित किया है| इस किले के शीर्ष पर पहुंचने के बाद यहाँ की प्राकृतिक खूबसूरती और सोन नदी का विहंगम दृश्य काफी आकर्षित होता है|अतीत के गौरवशाली और वैभव पूर्ण इतिहास को समझने के लिए पर्यटकों को यहाँ एक बार जरूर आना चाहिए|
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